इस दिशा में मुंह करके करें मंत्र जाप, होगा धन लाभ

डॉ श्रद्धा सोनी, वैदिक ज्योतिषाचार्य, रतन विशेषज्ञ, वास्तु एक्सपर्ट

मां धनलक्ष्मी जी चंचला हैं। वे कभी तो बिना कोई कामना किए ही हमारे जीवन में प्रवेश कर जाती हैं और कभी बिना किसी चेतावनी के ही हमें छोड़ देतीं हैं। मां धनलक्ष्मी जी की पूजा धन, वैभव और ऐश्वर्य से परिपूर्ण जीवन जीने के लिए की जाती है। वास्तव में धन तो केवल विभूति मात्र है। कोई व्यक्ति धनवान हो अथवा लक्ष्मीवान हो ये दो अलग-अलग बातें हैं। मां धनलक्ष्मी जी तो केवल श्री हैं।

न तो आर्थिक सुरक्षा और न ही ज्ञान हमें भावनात्मक संतुष्टि उपलब्ध करा सकता है। जीवन में हर सम्पदा या सुविधा होने पर भी यह ज़रूरी नहीं है कि हमारे आपसी संबंध मधुर हों। दुनिया भर के शास्त्र और ज्ञान की बातें पढ़ लेने के बाद भी यदि माता-पिता, संतान, या बंधू-बांधवों से रिश्तों में कड़वाहट हो तो कैसा सुख?

शुक्रवार के दिन हम मां धनलक्ष्मी जी से प्रार्थना करते हैं कि वह हमारे घर पधारें, मगर क्या आपने यह जानना चाहा है कि वह आपके घर निवास करना चाहती हैं या नहीं? शास्त्रों के मतानुसार श्री विष्णु जी मां धनलक्ष्मी जी से पूछते हैं, हे देवी, आप किस घर में निवास करना चाहती हैं?

मां धनलक्ष्मी जी बोली,”जिस घर में गृहस्थी का कुशल प्रबंध हो, जहां सदा स्वच्छता रहती है, घर के सदस्य मृदुभाषी और सौहार्द बनाए रखने वाले हों, परिवार में बड़े-बूढ़ों की सेवा-सुश्रूषा होती है, जिस घर के द्वार से कोई भूखा-असहाय खाली न लौटे, जहां स्त्रियों का अनादर या शोषण न हो, मैं वहां निवास करना चाहती हूं।”

घर परिवार में र्निवाह करने वाले जातको को सर्वदा कमल के आसन पर विराजित मां धनलक्ष्मी जी की उपासना करनी चाहिए। देवीभागवत में वर्णित है कि कमल के आसन पर विराजित मां धनलक्ष्मी जी की उपासना स्वर्ग के देवता राजा इंद्र ने की थी। मां धनलक्ष्मी जी ने प्रसन्न होकर इंद्र को देवाधिराज का पद दिया था। इंद्र ने मां धनलक्ष्मी जी की आराधना ॐ कमलवासिन्यै नम:’ मंत्र से की थी। यह मंत्र आज भी अचूक है। इसके अतिरिक्त महालक्ष्मी मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥ का जाप भी समान फल का दाता है।

प्रातः काल मे उत्तर दिशा और संध्या वेला में पश्चिम की और मुख करके मां लक्ष्मी कि मूर्ति या श्री यन्त्र के सामने स्फटिक कि माला से मंत्र जाप करेें। जप जितना अधिक हो सके उतना अच्छा है। कम से कम 108 बार 41 दिन तक लगातार अवश्य करें। मां लक्ष्मी कि कृपा से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है और निर्धनता दूर होती है।

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